Thursday 26 January 2012

हम नवयुग के निर्माता


हम नवयुग के निर्माता।।
कर्म शांति का,  धर्म शांति का
दीप लिए बढ़ते जाएं,
निर्धनता को दूर भागकर
पथ पर आगे बढ़ते जाएँ।
नव संदेशा सूरज लाता
हम नवयुग एक निर्माता।।
मानवता का मित्रता का
मशाल लिए बढ़ते जाएँ,
जातीयता का बंधन तोड़
जग को न्य मार्ग दिखाएँ।
आशा गीत पवन है गाता
हम नवयुग के निर्माता।।
शिक्षा की और ज्ञान की
ज्योति लिए बढ़ते जाएँ,
निरक्षरता के निविड़ तम के
राह को ज्योतिर्मय बनाएँ।
हमें बेठना नहीं सुहाता,
हम नवयुग के निर्माता।।
मातृ-भूमि के उर के
होते, टुकड़े जोड़ते जाएँ,
छोटे-छोटे टुकड़े जोड़
सफल राष्ट्र को एक बनाएँ।
हमें नहीं अलगाव है भाता,
हम नवयुग के निर्माता।

प्रहरी


मेरा शत्-शत् प्रणाम तुम्हें
तेरी हो जय सदा जगत में,
कामना सदा यही रही
हे भारत के वीर सिपाही।
तुम हो हमारे भाई बन्धु,
तुम्ही गंगा हो तुम्ही हो सिन्धु,
मातृ भूमि है तुम पर गर्वित
तुमसे ही है देश यह हर्षित।
तुममे है शक्ति अगम अभेध
जिसे शत्रु, न सका है भेद,
तुम्हें जिसने ललकारा है
झुक गया देश वह सारा है।
तुम हो रक्षक तुम्ही प्रहरी
तुम्हें है अर्पित खुशिया हमारी,
तुम रहे सदा पर्वत से अचल
तुम पर है आश्रित आज और कल।

देश प्रेम


चलो मिलके मेरे बन्धु
हम नया एक साज बनाएँ,
देश प्रेम का राग छेड़कर
एकजुट हो गुनगुनाएँ,
न हो कोई भेद-भाव
ऊँच नीच का भेद मिटाएँ,
निरक्षता के कलंक धो
अक्षर को अक्षर से मिलाएँ,
जननी हमारी जन्मभूमि है
इस पर अपनी जन लुटाएँ,
देश-प्रेम का दीप जलाकर
आगे ही आगे बढ़ते जाएँ ।।