हम नवयुग के निर्माता।।
कर्म शांति का, धर्म शांति का
दीप लिए बढ़ते जाएं,
निर्धनता को दूर भागकर
पथ पर आगे बढ़ते जाएँ।
नव संदेशा सूरज लाता
हम नवयुग एक निर्माता।।
मानवता का मित्रता का
मशाल लिए बढ़ते जाएँ,
जातीयता का बंधन तोड़
जग को न्य मार्ग दिखाएँ।
आशा गीत पवन है गाता
हम नवयुग के निर्माता।।
शिक्षा की और ज्ञान की
ज्योति लिए बढ़ते जाएँ,
निरक्षरता के निविड़ तम के
राह को ज्योतिर्मय बनाएँ।
हमें बेठना नहीं सुहाता,
हम नवयुग के निर्माता।।
मातृ-भूमि के उर के
होते, टुकड़े जोड़ते जाएँ,
छोटे-छोटे टुकड़े जोड़
सफल राष्ट्र को एक बनाएँ।
हमें नहीं अलगाव है भाता,
हम नवयुग के निर्माता।