हर तरफ कोलाहल और
हर तरफ है क्रंदन
जातीयता के नाम पर
हो रहा हर तरफ़
लहू का है मंथन
कब बहेगा किसका लहू
है हर मानव भयभीत
हो रही अब तो बस
आतंकवाद की जीत !
" पत्थर का दर्द "
हर तरफ है क्रंदन
जातीयता के नाम पर
हो रहा हर तरफ़
लहू का है मंथन
कब बहेगा किसका लहू
है हर मानव भयभीत
हो रही अब तो बस
आतंकवाद की जीत !
" पत्थर का दर्द "