Friday 1 February 2013




वो चाँद मुझसे दूर भले, 
मगर उसकी शीतलता अंतस तक छू जाती है......
ना मिल पाने की मजबूरी भले,
मगर गुफ्तगू हो जाती है............


हर फ़िक्र को धुएं में न उड़ा सके हम,
ग़म को भी मय में न डूबा सके हम,
देखा जो दर्द की महफ़िल तो बस मुस्कुरा दिए हम.....


रुसवा ना हो जाये कहीं अश्क मेरा,
इसलिए आईने से भी डरता है अक्स मेरा......




लिखने को सब लिख जाते  हैं सब अपने जज्बातों की जुबानी ,
किन्तु बनकर रह जाती है ये अक्सर एक मुक्कमल प्यार की अधूरी कहानी........

कब मैंने माँगा था मुझे सारा जहां दे- दो,
मगर मुझे मेरे हिस्से का एक टुकड़ा आसमां दे-दो.....

Friday 28 December 2012

वो भला दिल को क्या दुखायेंगे ,  जो कभी दिल के करीब ही नहीं आयेंगे !
दिल को तो वो दुखते हैं ,  हम जिन्हें अपने दिल में ज़गह देते हैं ........

Thursday 27 December 2012


हे रावण तूने तो अपनी मुक्ति हेतु किया था सीता का हरण,
किन्तु आज हर दूसरा कर रहा है तेरा अनुसरण................