ऊपर आकाश में
एक छोटा सा बादल,
कैसे ढँक लेता है
सारा उजियारा
अपनी कोशिशों में वह बार-बार
नाकाम होकर भी एक बार तो
कुछ क्षण मात्र को
पर, वह अपनी
विजय यात्रा में
सफल हो जाता है।
भले ही सूर्य की
तपन से पिघल कर
पुनः धरा पर आ जाता है
पर, एक बार फिर
ऊपर आकाश में,
एक छोटा सा बादल
छा जाता है।
सुनीता 'सुमन'
"पत्थर का दर्द"
एक छोटा सा बादल,
कैसे ढँक लेता है
सारा उजियारा
अपनी कोशिशों में वह बार-बार
नाकाम होकर भी एक बार तो
कुछ क्षण मात्र को
पर, वह अपनी
विजय यात्रा में
सफल हो जाता है।
भले ही सूर्य की
तपन से पिघल कर
पुनः धरा पर आ जाता है
पर, एक बार फिर
ऊपर आकाश में,
एक छोटा सा बादल
छा जाता है।
सुनीता 'सुमन'
"पत्थर का दर्द"