एक दिन......
मेरी उपासना से प्रसन्न हो
प्रभु मेरे सपने में आए और पूछा,
बता तेरी ख्वाहिस क्या है?
मैंने कहा......
प्रभु मुझे दीये की लौ मत बनाना
और मुझे मोमबत्ती की तरह भी मत जलाना
इस तरह मैं
सारी दुनिया को रौशनी तो दे सकूँगी
पर मेरा अस्तित्व जल जाएगा,
या फिर मोमबत्ती की तरह पिघल जाएगा,
फिर इस दुनियाँ को राह कौन दिखाएगा?
मेरा अस्तित्व तो खोकर रह जाएगा!
प्रभु परेशान!
अंततः पूछा-फिर?
मैंने कहा......
प्रभु मुझे छिपकिली बना दो|
प्रभु हतप्रभ
बोले सोच लो......
मैंने बार-बार सोचा,
हज़ारों बार सोचा
और विचारा करोड़ों बार|
अंततः मैंने कहा......
प्रभु मुझे छिपकिली ही बना दो,
इस तरह मैं
सरे कीड़े-मकौड़े को चाट कर जाऊँगी
और......
एक स्वच्छ वातावरण बनाऊँगी|
-पत्थर का दर्द
मेरी उपासना से प्रसन्न हो
प्रभु मेरे सपने में आए और पूछा,
बता तेरी ख्वाहिस क्या है?
मैंने कहा......
प्रभु मुझे दीये की लौ मत बनाना
और मुझे मोमबत्ती की तरह भी मत जलाना
इस तरह मैं
सारी दुनिया को रौशनी तो दे सकूँगी
पर मेरा अस्तित्व जल जाएगा,
या फिर मोमबत्ती की तरह पिघल जाएगा,
फिर इस दुनियाँ को राह कौन दिखाएगा?
मेरा अस्तित्व तो खोकर रह जाएगा!
प्रभु परेशान!
अंततः पूछा-फिर?
मैंने कहा......
प्रभु मुझे छिपकिली बना दो|
प्रभु हतप्रभ
बोले सोच लो......
मैंने बार-बार सोचा,
हज़ारों बार सोचा
और विचारा करोड़ों बार|
अंततः मैंने कहा......
प्रभु मुझे छिपकिली ही बना दो,
इस तरह मैं
सरे कीड़े-मकौड़े को चाट कर जाऊँगी
और......
एक स्वच्छ वातावरण बनाऊँगी|
-पत्थर का दर्द