उसकी हिमाकत तो देखो
लगता है अब उसकी भी शामत आई है,
उसने मुखिया के खिलाफ
रेप केस दर्ज करवाई है,
अब उसके भी घर फ़ाके पड़ेंगे,
अब उसके भी बच्चे दर-दर भटकेंगे,
देता है बूढ़ा बाप भी घर-घर जा कर दुहाई,
हो जाये शायद कहीं उसकी भी सुनवाई ।
चला था अपने हिस्से की माँगने कमाई !!
लोगों ने पूछा........
क्या तू है पैसे वाला ?
रो कर कहा था उसने.....
पसीना समझ कर
नित्य बहाता हूँ आपना खून,
तब कहीं जाकर पता हूँ रोटी दो जून ।
करता हूँ मसक्कत
नित्य सूर्योदय से सूर्यास्त तक,
या फिर समझ लें
जन्म से मृत्यु तक ।
नित्य शुरू होकर ख़त्म हो जाती है
अपनी राम कहानी ।
खा कर सूखे चने
पी कर ठंडा पानी ।
जेठ, बैसाख में मांग लेता हूँ
पवन देव से ठंडी वायु,
देकर अपनी आयु ।
मेरी क्या बिसात कि,
बाबुओं पर झाडूं ताव
जबकि पूस में तापता रहता हूँ
बनाकर अपनी देह को अलाव ।
इन बेजान टांगों पर
खींचता हूँ नित्य इंशानियत का बोझ
मै कैसे कहूँ,
मैं हूँ पैसे वाला
मैं तो हूँ बस एक रिक्शावाला ।।
सुनीता 'सुमन'
"पत्थर का दर्द"
लगता है अब उसकी भी शामत आई है,
उसने मुखिया के खिलाफ
रेप केस दर्ज करवाई है,
अब उसके भी घर फ़ाके पड़ेंगे,
अब उसके भी बच्चे दर-दर भटकेंगे,
देता है बूढ़ा बाप भी घर-घर जा कर दुहाई,
हो जाये शायद कहीं उसकी भी सुनवाई ।
चला था अपने हिस्से की माँगने कमाई !!
लोगों ने पूछा........
क्या तू है पैसे वाला ?
रो कर कहा था उसने.....
पसीना समझ कर
नित्य बहाता हूँ आपना खून,
तब कहीं जाकर पता हूँ रोटी दो जून ।
करता हूँ मसक्कत
नित्य सूर्योदय से सूर्यास्त तक,
या फिर समझ लें
जन्म से मृत्यु तक ।
नित्य शुरू होकर ख़त्म हो जाती है
अपनी राम कहानी ।
खा कर सूखे चने
पी कर ठंडा पानी ।
जेठ, बैसाख में मांग लेता हूँ
पवन देव से ठंडी वायु,
देकर अपनी आयु ।
मेरी क्या बिसात कि,
बाबुओं पर झाडूं ताव
जबकि पूस में तापता रहता हूँ
बनाकर अपनी देह को अलाव ।
इन बेजान टांगों पर
खींचता हूँ नित्य इंशानियत का बोझ
मै कैसे कहूँ,
मैं हूँ पैसे वाला
मैं तो हूँ बस एक रिक्शावाला ।।
सुनीता 'सुमन'
"पत्थर का दर्द"